लेखनी प्रतियोगिता -01-Mar-2023 कुदरत से प्रेम
प्रमोद का जिस दिन जन्म हुआ था उसी दिन उसके दादाजी ने घर के आंगन के बाहर शहतूत का पौधा लगाया था। जैसे-जैसे प्रमोद की आयु बड़ी थी उसी तरह शहतूत के पेड़ की आयु बढ़ने के बाद वह एक बड़ा दरखत बन गया था।
प्रमोद गरीबों के मौसम में खाना खाने के बाद उस शहतूत के पेड़ के नीचे चारपाई लगा कर सोता था। प्रमोद जब भी शहतूत के पेड़ को देखता था तो उसे अपने स्वर्गीय दादाजी की बहुत याद आती थी।
पूरे दिन दाना चुगने के बाद शाम को पक्षी शहतूत के पेड़ पर बैठ जाते थे। प्रमोद रात को जब शहतूत के पेड़ के नीचे चारपाई लाकर सोता था तो सुबह पक्षियों की चहचहाहट और शहसूत के पेड़ की ठंडी ठंडी हवा उसे बहुत सुकून देती थी। प्रमोद अपने शहतूत के पेड़ की बहुत देखभाल करता था।
प्रमोद जब कभी-कभार किसी रिश्तेदार के घर चला जाता था तो प्रमोद को अपने शहतूत के पेड़ और पक्षियों की बहुत याद आती थी। और प्रमोद को पूरी रात अपने सगे संबंधियों के घर सोने में सुकून शांति नहीं मिलती थी।
प्रमोद जब अपने घर आ आता था और अपने शहतूत के पेड़ के नीचे सोता था तब उसे बहुत सुकून महसूस होता था।
प्रमोद के मां बाबूजी प्रमोद को हमेशा मना करते थे, अकेले शहतूत के पेड़ के नीचे सोने के लिए क्योंकि शहतूत का पेड़ घर से थोड़ा सा दूर था। और वहां से आने जाने वालों का रास्ता था।
लेकिन प्रमोद को शहतूत के पेड़ और उस पर बैठे पक्षियों की वजह से रात को बिल्कुल भी अकेलापन महसूस नहीं होता था। क्योंकि शहतूत का पेड़ रास्ते में था इसलिए गांव वालों को अपनी बैलगाड़ी ट्रैक्टर आदि सामान ले जाने में परेशानी होती थी। इस वजह से गांव के लोग चाहते थे कि अगर यह शहतूत का पेड़ अगर कट जाए तो सीधा सड़क का रास्ता बन जाएगा।
जब भी गांव के लोग शहतूत के पेड़ को काटने की बात करते थे तो प्रमोद बहुत बेचैन हो जाता था। और शहतूत के पेड़ की काटने की बात सुनने के बाद प्रमोद को पूरी रात नींद नहीं आती थी और शहतूत के पेड़ के आसपास घूमता रहता था। और प्यार भरी निगाहों से शहतूत के पेड़ और उस पर बैठे घोंसले और पक्षियों को देखता रहता था।
और इस बेचैनी और दुख में प्रमोद को पता नहीं चलता था कि कब सुबह हो गई है। इसलिए शहतूत के पेड़ से प्रमोद का लगाव देखकर प्रमोद के मां बाबूजी उसे बहुत समझाते थे।
और प्रमोद को जिस चीज का डर था वह दिन एक दिन आ जाता है पूरे गांव के लोग शहतूत के पेड़ को काटने के लिए एक जगह इकट्ठे हो जाते हैं क्योंकि शहतूत के पेड़ के कटने के बाद गांव का रास्ता सीधा बड़े रोड से मिलता।
जैसे ही गांव वालों के कहने से दो लकड़हारे कुल्हाड़ी लेकर शहतूत के पेड़ को काटने आते हैं तो उसी समय प्रमोद अपने माता पिता के साथ घर से बाहर आता है। और प्रमोद के माता पिता और प्रमोद वालों से शहतूत का पेड़ काटने की बहुत मना करते हैं।
लेकिन गांव वाले पेड़ काटने की जिद पर अड़े जाते हैं । गांव वालों के सामने अपने घर के अंदर जाकर एक रस्सी लाता है और से शहतूत के पेड़ पर लटका कर फांसी का फंदा बनाकर अपने गले में डाल लेता है। तो उस समय गांव वालों को महसूस होता है कि प्रमोद कि कुदरत से कितनी सच्ची मोहब्बत है। और वह शहतूत के पेड़ को काटने का इरादा बदल देते हैं।
अदिति झा
02-Mar-2023 08:43 PM
Nice 👍🏼
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Vishal Ramawat
02-Mar-2023 12:00 PM
nice
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Ajay Tiwari
02-Mar-2023 08:47 AM
Very nice
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